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नयी दिल्लीः चल रहे कोरोना काल के कारण पूरी दुनियां चपेट में आ रही है, तो ये व्यापारी वर्ग कैसे बच सकता है। जी हां आप को बता दें, कोरोना के चलते गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले जन मानस तो चपेट में आ ही रहा था। अब व्यापारी वर्ग को भी कोरोना काल ने अपना डंक मारना शुरु कर दिया है। जहां गरीब के पास खाने को पैसे नहीं है, तो व्यापारी की फसल खरीदने को खरीददार मंडी नहीं पहुंच पा रहे हैं।
उर्युक्त दोनों ही महिलाएं भुखमरी की कगार पर हैं और सरकार से मदद की गुहार लगा रही हैं। इनका जीवन-यापन पास के घरों मे काम करने से चलता है। वहीं दूसरे का पति रिक्शाचालक है, परन्तु कोरोना के कारण जीवनयापन के सारे स्रोत बंद हैं व भुखमरी की कगार पर हैं।
महाराष्ट्र में आम की फसल तैयार है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है, जिसकी वजह से खरीददार मंडी नहीं पहुंच पा रहे हैं। जिसके चलते व्यापारी वर्ग भी लॉकडाउन के खुलने का इंतजार कर रहा है। क्योंकि लॉकडाउन में माल उस रफ्तार से न तो बिक पा रहा है और न ही मंडी से उस मात्रा में निकल पा रहा है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अनुसार, कोरोना वायरस बराबर अपने पैर पसार रहा है। जिसके चलते सरकार भी बढे कठोर कदम उठा रही है। अब तक कोरोना मरीजों की संख्या 15712 तक पहुंच गयी है, इसमें से 2230 लोगों को उपचार के द्वारा स्वस्थ्य किया जा चुका है और 507 को अस्पताल से डिस्चार्ज कर, उनके घर भेजा जा चुका है।
दिल्ली सरकार ने साफ किया है कि दिल्ली में लॉकडाउन को लेकर बिल्कुल नर्मी नहीं बरती जा रही है। अगले हफ्ते दिल्ली सरकार शीर्ष अधिकारियों के नेतृत्व में लॉकडाउन को लेकर समीक्षा करेगी, उसके बाद निर्णय लेगी कि कहां पर लॉकडाउन को खोलना है और कहां नहीं।
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