जन संघ के संस्थापक श्री Shyama prasad mukherji की जयंती पर बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने दी श्रृद्धांजलि।

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बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने Dr. shyama prasad mukherji की जयंती पर दी श्रृद्धांजलि।

नयी दिल्लीः श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Shyama prasad mukherji) की जयंती पर आज बेजेपी के शीर्ष नेताओं ने श्रृद्धांजलि अर्पित की । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा- मैं डॉ, श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी जयंती पर नमन करता हूं। एक देशभक्त, उन्होंने भारत के विकास के लिए अनुकरणीय योगदान दिया। उन्होंने भारत की एकता को आगे बढ़ाने के लिए साहसी प्रयास किए। उनके विचार और आदर्श देश भर में लाखों लोगों को ताकत देते हैं।

वहीं देश के रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भी जन संघ के संस्थापक ड़ॉक्टर श्यामाप्रसाद मुखर्जी को श्रृद्धांजलि अर्पित की। साथ में लिखा कि-उन्होंने भारत की एखता अखंडता के लिए आजीवन काम किया। उनके विचार भारत की आने वाली पीडियों को प्रेरणा देते रहेंगे।

बीजेपी के अन्य शीर्ष नेताओं, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने बीजेपी के अन्य नेताओ के साथ Dr. shyama prasad mukerji की जयंती पर श्रृद्धांजलि अर्पित की।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (shyama prasad mukherji)

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक शिक्षाविद्, चिंतक और भारतीय जन संघ के संस्थापक थें। उनका जन्म 6 जुलाई, 1909 में कलकत्ता प्रांत में हुआ था। उस समय बंगाल ब्रिटिश भारत था। और उनकी मृत्यु 23 जून 1953 में (51 साल) कश्मीर कारावास में हुयी । उस समय भारत स्वतंत्र था। उनकी पत्नि का नाम सुधा देवी था। उन्होंने हिन्दू महासभा और भारतीय जन संघ की स्थापना की थी।

श्मा प्रसाद की कैसे हुयी मृत्यु।

डॉक्टर श्यामा प्रसाद जम्मू कश्मीर को भारत का सम्पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मुकश्मीर का अलग झंडा और अलग संविधान था। वहां का वजीऱ आजम प्रधान मंत्री कहलाता था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने संसंद में अपने भाषण में धारा-370 को समाप्त करने की जोरदार वकालत की थी। इस लिए वह सन 1952 में जम्मु कश्मीर की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने कहा था- कि या तो मैं आप को भारतीय संविधान प्राप्त कराऊंगा। या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दूंगा।

इसलिए उन्होंने उस समय की नेहरु सरकार को चुनौती दे डाली। इस प्रकार वह अपने संकल्प को पूरा करने केलिए सन 1953 में बिना परमिट के जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पडे। वहां पहुंचते ही श्यामा प्रसाद को गिरफ्तार कर नज़रबंद कर लिया गया। वहीं कारावास में ही जून 1953 में रहस्मयी परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी।

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Author: टीम, भारतीय बुलेटिन

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