Live: राहुल गांधी से बातचीत में किसान बोले MSP की गारंटी दे सरकार, साथ में MSP मूल्य से कम खरीद पर करे सजा का प्रावधान।

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राहुल गांधी ने कृषि कानून को लकेर किसानों से की बातचीत। किसान बोले एमएसपी की गारंटी दे सरकार, साथ एमएसपी से कम रेट पर खरीद पर करे सजा का प्रावधान।

नयी दिल्लीः पंजाब में अभी भी कृषि कानून में एम.एस.पी (MSP) की मांग को लेकर आंदोलन जारी है। कांग्रेस कृषि कानून का पुरजोर विरोध कर रही है। इस बीच आज कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने किसानों से बातचीत की । किसानों से बातचीत में कुछ किसानों ने कहा कि, ‘इस इस कानून से किसानों की शोषण होगा’। किसान भूखे मरने पर मजबूर हो जाएगा।

राहुल गांधी से बातची में किसानों ने कहा,सब जुमलेबाजी है

कुछ किसान बोले इनकी (भाजपा) में कोई दम नहीं है। सब जुमलेबाी है। किसान को कुछ भी नहीं बचेगा, किसी भी हालत में। अगर कृषि कानून से किसानों का भला होने वाला है, तो ये एम.एस.पी (MSP) की गारंटी क्यूं नहीं देते हैं। इस कानून से आगे हाल ये हो जाएगा कि कोई कम रेट पर खरीदेगा, तो क्या ये दंडनीय अपराध होगा। सरकार को कानून में ऐसी वयस्था करनी चाहिए न कि बिना वोटिंग के कानून पास करना चाहिए। यदि कोई प्राइवेट कंपनी या कोई व्यक्ति एमएसपी (MSP) से कम रेट पर किसानों से फसल खरीदता है तो वह सजाका पात्र हाोगा। एसएसपी (MSP) से कम पर तो कोई खरीद हो नहीं चाहिए।

कृषि कानून में यदि कोई एसएसपी (MSP) से नीचे फसल को खरीदता है, तो किसान विरोध भी नहीं करपाएगा। किसानों ने ये तक कहा कि, इस कानून से केवल किसी का भला हो सकता है वह हैं देश कि उद्योग पति। उन्होंने उद्योगपतियों का नाम लेकर कहा कि, इस कानून से केवल “अडानी, अंबानी” का ही भला होगा न कि किसानों का।

एसएसपी (MSP) पर कानून क्यूं नही बनाते।

ऐसे किसान भी थे जिन्होंने केंद्र सरकार द्वारा लाए गये कानून को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि, ये कानून किसानों को खत्म करने केलिए लाए गयें है। अगर कृषि कानूनों से किसानों का भला होने वाला है तो, ये एसएसपी (MSP) पर कानून क्यूं नहीं बनाते हैं।

दलाली तो अब होगी।

कुछ किसानों ने ये भी कहा कि, सरकार कह रही है कि अडतियों और दलालों की भूमिका नही रहेगी व किसान अपनी मर्जी से अपने दामों पर फसल को बेंच सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है। दलाली तो अब शुरु होगी वो भी कोर्पोरेट स्तर की। क्या उद्योगपति स्वयं फसल खरीदने आयेंगे नहीं। वह बीच में दलाल छोड देंगे और दलाल अपनी मर्जी से फसल के रटे तय करेगा।

कुछ किसानों ने सरकार का निशाना साधते हुए बाताया कि जिस तरह 1840 में ईस्ट इंडिया कंपनी इंग्लैंड से कपास का भाव निकालती थी, उसी भाव में सब व्यापारी माल खरीदते थे। ठीक उसी तरह की व्यवस्था भारत में भाजपा सरकार कर रही है। इस में ऐसा होने की गुंजाइश लगती है कि उद्योगपति किसानों से सस्ती दर परी फसल गो खरीदेगा और अपनी मर्जी की दर बेंचेगा।

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Author: टीम, भारतीय बुलेटिन

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