नई दिल्लीः 28वें NHRC स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते (28th NHRC Foundation Day ) पीएम मोदी ने कहा बीते दशकों में ऐसे कितने ही अवसर विश्व के सामने आए हैं, जब दुनिया भ्रमित हुई है, भटकी है।लेकिन भारत मानवाधिकारों के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहा है, संवेदनशील रहा है।
जो गरीब कभी शौच के लिए खुले में जाने को मजबूर था, उब गरीब को जब शौचालय मिलता है, तो उसे Dignity भी मिलती है।
जो गरीब कभी बैंक के भीतर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था उस गरीब का जब जनधन अकाउंट खुलता है, तो उसमें हौसला आता है, उसकी Dignity बढ़ती है।
महिलाओं के लिए काम के अनेक सेक्टर खुले
आज महिलाओं के लिए काम के अनेक सेक्टर्स को खोला गया है, वो 24 घंटे सुरक्षा के साथ काम कर सकें, इसे सुनिश्चित किया जा रहा है।
दुनिया के बड़े-बड़े देश ऐसा नहीं कर पा रहे लेकिन भारत आज career women को 26 हफ्ते की paid maternity leave दे रहा है।
बीते वर्षों में देश ने अलग-अलग वर्गों में, अलग-अलग स्तर पर हो रहे Injustice को भी दूर करने का प्रयास किया है।
दशकों तक मुस्लिम महिलाएं कानून की मांग करती रहीं
28वें NHRC स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते (28th NHRC Foundation Day ) पीएम मोदी ने ये भी कहा कि दशकों से मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खिलाफ कानून की मांग कर रही थीं।
हमने ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनाकर, मुस्लिम महिलाओं को नया अधिकार दिया है। भारत के लिए मानवाधिकारों की प्रेरणा का, मानवाधिकार के मूल्यों का बहुत बड़ा स्रोत आज़ादी के लिए हमारा आंदोलन, हमारा इतिहास है।
हमने सदियों तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
एक राष्ट्र के रूप में, एक समाज के रूप में अन्याय-अत्याचार का प्रतिरोध किया।
#WATCH | …Some people see human rights violations in some incidents but not in other similar incidents. Human rights are violated when viewed via political spectacles. Selective behaviour harmful to democracy. They attempt to harm nation's image through selective behaviour.: PM pic.twitter.com/5RsaIkMExw
— ANI (@ANI) October 12, 2021
एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया विश्व युद्ध की हिंसा में झुलस रही थी, भारत ने पूरे विश्व को ‘अधिकार और अहिंसा’ का मार्ग सुझाया।
हमारे बापू को देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व मानवाधिकारों और मानवीय मूल्यों के प्रतीक के रूप में देखता है।
हमारे दिव्यांग भाई-बहनों की क्या शक्ति है, ये हमने हाल के पैरालंपिक में फिर अनुभव किया है।
मानवाधिकारों से जुड़ा एक और पक्ष है, जिसकी चर्चा मैं आज करना चाहता हूं।
हाल के वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से, अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं।
दिव्योंगों को सशक्त करने के कानून बनाए
बीते वर्षों में दिव्यांगों को सशक्त करने के लिए भी कानून बनाए गए हैं, उनको नई सुविधाओं से जोड़ा गया है।
एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता।
इस प्रकार की मानसिकता भी मानवाधिकार को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती है।
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— PMO India (@PMOIndia) October 12, 2021
Author: टीम, भारतीय बुलेटिन
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