प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी Birsa Munda की याद में झारखंड के रांची में एक संग्रहालय का उद्घाटन किया।

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी Birsa Munda की याद में झारखंड के रांची में एक संग्रहालय का उद्घाटन किया।

नयी दिल्लीः प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो-कॉन्फ्रेंस शुरु करते हुए कहा कि भगवान बिरसा मुंडा (Birsa munda) स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के लिए पूरे देश के जनजातीय समाज, भारत के प्रत्येक नागरिक को बधाई देता हूं।

ये संग्रहालय, स्वाधीनता संग्राम में आदिवासी नायक-नायिकाओं के योगदान का, विविधताओं से भरी हमारी आदिवासी संस्कृति का जीवंत अधिष्ठान बनेगा।

आधुनिकता के नाम पर विविधता पर हमला, प्राचीन पहचान और प्रकृति से छेड़छाड़, भगवान बिरसा (Birsa munda) जानते थे कि ये समाज के कल्याण का रास्ता नहीं है।

वो आधुनिक शिक्षा के पक्षधर थे, वो बदलावों की वकालत करते थे, उन्होंने अपने ही समाज की कुरीतियों के, कमियों के खिलाफ बोलने का साहस दिखाया।

भारत की सत्ता, भारत के लिए निर्णय लेने की अधिकार-शक्ति भारत के लोगों के पास आए, ये स्वाधीनता संग्राम का एक स्वाभाविक लक्ष्य था।
भगवान बिरसा (Birsa munda) ने समाज के लिए जीवन जिया, अपनी संस्कृति और अपने देश के लिए अपने प्राणों का परित्याग किया।

इसलिए, वो आज भी हमारी आस्था में, हमारी भावना में हमारे भगवान के रूप में उपस्थित हैं। लेकिन साथ ही, ‘धरती आबा’ की लड़ाई उस सोच के खिलाफ भी थी जो भारत की, आदिवासी समाज की पहचान को मिटाना चाहती थी।

धरती आबा बहुत लंबे समय तक इस धरती पर नहीं रहे थे। लेकिन उन्होंने जीवन के छोटे से कालखंड में देश के लिए एक पूरा इतिहास लिख दिया, भारत की पीढ़ियों को दिशा दे दी।

देखें वीडियो- क्यूं अभिनेता सोनू सूद ने राजनीतिक पार्टियों के मैनिफेस्टो पर उठाए सवाल।

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Author: टीम, भारतीय बुलेटिन

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