देश की 15वीं व पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होगीं द्रौपदी मुर्मू. पीएम मोदी ने किया सब का धन्यवाद.

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देश की 15वीं व पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होगीं द्रौपदी मुर्मू (draupadi murmu) मुख्यमंत्री खट्टर दी बधाई देते हुए लिखा- नारी, शिक्षा. शौर्य, सशक्तिकरण और जनजातीय समाज का प्रतीक बन चुकी हैं राष्ट्रपति मुर्मू जी।

नयी दिल्लीः राष्ट्रपति चुनाव को लेकर देश में सर्गमियां तेजी से चलरही थीं लेकिन शाम होते होते ये सरगर्मियां और तेज हो गयीं जब आखिरी राउंड में द्रौपदी मुर्मू (draupadi murmu) आगे चल रहीं थीं। इस से अंदाजा तो लग ही गया था कि स्वतंत्र भारत की वह 15वीं राष्ट्रपति बनने वाली हैं और भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी।


अंततः खुशी की लहर तब दौड पडी जब द्रौपदी मुर्मू (draupadi murmu) विजयी घोषित की गयीं। आप को बतात दें कि मुर्मु को अपने प्रतिद्वंदी यशवंत सिंहा से 50 प्रतिशत वोट अधिक मिले। वह चुनाव में तीसरे दौर की मतगणना के अंत में कुल वैध वोटों के 50% अंक को पार कर गई थीं। ये भी पढेंः राष्ट्रपति पद के लिए NDA प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू आज शुक्रवार को नामांकन दाखिल करेंगी।

मुख्यमंत्री खट्टर ने इस तरह दी बधाई

पैतृक गांव में चल रहा था जश्न

आप को बता दें कि एनडीए के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पैतृक स्थान, ओडिशा के रायरंगपुर गांव में जश्न चल रहा है, जो 1,349 वोटों से आगे चल रही है और जीत के करीब पहुंच रही है।

draupadi murmu का व्यक्तिगत जीवन परिचय

द्रौपदी मुर्मू एक भारतीय महिला राजनेत्री हैं। भारत के सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने भारत के अगले राष्ट्रपति के लिये उनको अपना प्रत्याशी घोषित किया हैं। इसके पहले 2015 से 2021 तक वे झारखण्ड की राज्यपाल थीं। उनका जन्म ओड़िशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था।

द्रौपदी मुर्मू का जन्म २० जून 1958 को ओड़िशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडु था। उनके दादा और उनके पिता दोनों ही उनके गाँव के प्रधान रहे।

उन्होंने श्याम चरण मुर्मू से विवाह किया। उनके दो बेटे और एक बेटी हुए। दुर्भाग्यवश दोनों बेटों और उनके पति तीनों की अलग-अलग समय पर अकाल मृत्यु हो गयी। उनकी पुत्री विवाहिता हैं और भुवनेश्वर में रहतीं हैं।

draupadi murmu का राजनीतिक जीवन

द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में राइरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ किया था।उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं है।द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट पर दो बार जीती और विधायक बनीं। ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में द्रौपदी मुर्मू को 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया था

द्रौपदी मुर्मू मई 2015 में झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गई थीं। उन्होंने सैयद अहमद की जगह ली थी। झारखंड उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह ने द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल पद की शपथ दिलाई थी।झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब भी द्रौपदी मुर्मू के नाम रहा। साथ ही वह किसी भी भारतीय राज्य की राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी भी हैं। द्रौपदी मुर्मू ने 24 जून 2022 में अपना नामांकन किया, उनके नामांकन में पीएम मोदी प्रस्तावक और राजनाथ सिंह अनुमोदक बने थे।

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Author: टीम, भारतीय बुलेटिन

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