नयी दिल्लीः दिल्ली के कुछ इलाके ऐसे जहां बाढ की मार अधिक देखी जा सकती है, वहीं साउथ दिल्ली का इलाका जैतपुर पार्ट (वश्वकर्मा कॉलोनी) की भी ऐसी ही हालत है। बाढ से पूरा इलाका प्रभावित है, लोगों के घर खराब हो चुके हैं। घरों में दरारे आ चुकी हैं, कुछ मकान ऐसे हैं जो रहने के लायक नहीं रहे हैं. फर्श धस चुकी है. दीवारों मे दरार आ चुकी है. वहीं इतनी बढी आबादी के सिर एक तलवार और लटक रही है कि यदि बाढ दुबारा आ गयी तो क्या करेंगे क्यूंकि दिल्ली अलर्ट पर, साथ में राहत शिविर भी खत्म हो चुके हैं. कुछ राजनीतिक पार्टियां अब विश्वकर्मा कॉलोनी का दौरा कर रही हैं. इसी क्रम में कल कांग्रेस पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी, दिल्ली प्रदेश प्रभारी बाबरिया और दक्षिणी दिल्ली से पूर्व सांसद रमेश कुमार शामिल रहे, साथ में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर बिलाल अहमद भी रहे.
घरों में जा जाकर दौरा किया गया, लोगों से बात की गयी कि दिल्ली सरकार द्वारा जो 10000 रु देने का वादा किया जा रहा है क्या आप लोगों तक नहीं पहुंचा, जनता का केवल एक ही जबाव था कि अभी तक कोई नही आया. न कोई प्रशासन का अधिकारी आया न ही कोई प्रतिनिध आया. लेकिन ऐसे मे एक सवाल ये उठता है कि यदि 10000 रुपये मुआवजा मिल भी जाता है तो क्या वह लोगों के लिए पर्याप्त होगा? क्या यह मुआवजा लोगों को राहत पहुंचाएगा? क्यूंकि कुछ मकान ऐसे हैं जो जर्जर अवस्था में.जो कभी गिर सकते हैं. इस लिए उन मकानों में रहना खतरे से खाली नहीं है. कुछ मकान तो ऐसे हैं जो जल्द ही बनाए गये थे, पैसा कर्जे पर लिया गया था परन्तु मकान जर्जर अवस्था में है. अब वह क्या करें?
देखें वीडियो, जैतपुर पार्ट (वश्वकर्मा कॉलोनी)
वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि मकान की हालात क्या है? यह मकान रहने लायक नही है.यदि इस मकान में रहा जाएगा तो जान का किस कदर खतरा है आप वीडियो में देख सकते हैं.
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वहीं बात करें कि जानमाल के खतरे तो वहीं कुछ मकान गिर गये लोगों को गंभीर चोट आयी है. लोग रोते बिलखते रहे लेकिन प्रशान मूक दर्शक बना देखता रहा. राहत पट्टी के नाम पर केवल दिखावा.
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Author: टीम, भारतीय बुलेटिन
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