पुलिस ने गवाहों और ठोस सबूतों के बल पर पीड़ित को दिलवाया न्याय.
फरीदाबाद: वर्ष 2019 के दुष्कर्म के एक मामले में एडिशनल सेशन जज श्री हेमराज मित्तल की कोर्ट ने नाबालिक लड़की के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी गौरव को 20 साल की सजा सुनाई है और उसे पर ₹60000 जुर्माना भी लगाया है।
पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने बताया कि अगस्त 2019 में आरोपी गौरव द्वारा एक 16 वर्षीय नाबालिक लड़की के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया था। आरोपी गौरव यूपी के हाथरस का रहने वाला है जो वारदात के समय पीड़ित के पड़ोस में रह रहा था। 26 अगस्त 2019 को पीड़ित लड़की ने सारन थाने में अपनी शिकायत दी थी जिसमें उसने बताया कि वह छठी कक्षा की छात्रा है। ये भीी पढेंः फरीदाबाद बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एडवोकेट एल एन पाराशर ने बार एसोसिएशन के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों एवं लॉयर्स चेंबर के सफाई कर्मचारियों को बांटा राशन.
आरोपी का नाम गौरव है
आरोपी गौरव उसके पड़ोस में रहता है। 25 अगस्त दोपहर को वह अपनी छत पर गई थी जहां आरोपी गौरव ने उसे उसका हाथ पकड़कर अपने कमरे में ले गया और वहां पर जबरदस्ती उसके साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया। लड़की ने जब इसका विरोध किया तो आरोपी ने उसे जान से मारने की धमकी दी और लड़की को एक गोली खिलाई जिसके खाने के पश्चात लड़की बेहोश हो गई और जब उसे होश आया तो उसने अपने आप को कमरे में बंद पाया।
पीडित की शिकायत पर लगा पोक्सो एक्ट
के बाहर ताला लगा हुआ था जो लड़की ने आवाज लगाकर जैसे तैसे अपने आप को वहां से बाहर निकाला। पीड़ित लड़की की शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ पोक्सो एक्ट, एससीएसटी एक्ट इत्यादि संगत धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करके आरोपी की तलाश शुरू की गई। मामले की जांच एसीपी सुखबीर सिंह द्वारा अमल में लाई गई जिन्होंने मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए उसी दिन आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और अदालत में पेश करके जेल भेज दिया। तब से मामला विचाराधीन चल रहा था जिसमें सरकारी वकील प्रताप सिंह ने पुलिस की तरफ से पैरवी की थी। ये भीी पढेंः नूह हिंसा: ताजा प्रकरण को देखते हुए फरीदाबाद में लगी धारा 144,असमाजिक तत्वों सोशल मीडिया पर फरीदाबाद पुलिस की पैनी नज़र.
इससे अपराधियों के मन में भय पैदा होगा
पुलिस टीम ने अक्टूबर 2019 में कोर्ट में चार्जशीट पेश करके गवाहों और ठोस सबूतों के बल पर आरोपी को सजा दिलाने का कार्य किया है। इससे अपराधी किस्म के व्यक्तियों में कानून का भय पैदा होगा और वह किसी भी प्रकार की आपराधिक वारदात को अंजाम की कोशिश नहीं करेंगे। इसके साथ ही आमजन में पुलिस, अदालत व कानून के प्रति विश्वास भी सुदृढ़ होगा।
Author: टीम, भारतीय बुलेटिन
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