नयी दिल्लीः प्रधानमंत्री मोदी ने आज देश को संबोधन में Tax system को लेकर बडी चर्चा की। जिस में उन्होंने बताया कि किस तरह टैक्स सिस्टम में सुधार की जरुरत थी। जिसको सुधारा गया।अब Tax system किस तरह विकसित हो रहा है।
आज देश Structural reform के जरिये आज एक नये पडाव पर पहुंच गया है। आज देश के टैक्स सिस्टम का लोकार्पण हुआ है । Transparent Taxation- Honouring The Honest 21 वीं सदी के टैक्स की इस नयी व्यवस्था का आज लोकार्ण हुआ है।
25 सितंबर यानि दीन दयाल उपाध्याय जी के जन्मदिन से पूरे देशभर में नागरिकों के लिए उपलब्ध faceless appeal की सुविधा हो जाएगी। जिस पर हम कयी वर्षों से फोकस कर रहे हैं। इस लिए अब टैक्स पेयर को fairness और fearless का विश्वास देने वाला है।
प्रधानमंत्री ने कहा, बदलाव आ रहा है जिसका मूल कारण है क्या “सजा़ और सख्ती” हैं । नहीं बिल्कुल नहीं क्योंकि अब सारे काम अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रख कर किये जा रहे हैं इस लिए बदलाव हो पा रहा है। किसी को सजा देने से नहीं ।
पिछली सरकारों पर प्रहार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कभी मजबूरी में फैसले लिये जाते थे तो कभी दबाव में फैसले लिए जाते थे। एक दौर था जब सुधार की बात तो होती थी लेकिन सुधार नही हुआ। इस लिए इच्छित नतीजे नही आ सके। लेकिन अब सोच और अप्रोज दोनों बदल गयी हैं।
पीएम मोदी ने कहा, आज से नयी व्यवस्थाएं व नयी सुविधाएं शुरु हो रही हैं । Minimum Government और Maximum Governance के प्रति हमारी प्रतिबध्दता को और अधिक मजबूती मिलती है। देशवासियों के जीवन में कम दखल हो , इसके लिए यह एक बडा कदम है।
Tax system के बारे में मोदी ने कहा कि, Tax system में सुधार की जरुरत थी। ये जरुरत मौलिक और संरचनात्मक दोनों तरह से थी। सुधार की जरुरत इस लिए थी क्योंकि हमारा सिस्टम गुलामी में जकडा हुआ था। जो अब धीरे-धीरे विकसित हो रहा है।
हमने जटिल प्रकियाओं के साथ-साथ टैक्स में भी कमी की है। इस लिए अब 5 लाख इनकम वाले पर कोई टैक्स नही है । साथ ही बाकी स्लैब मे भी टैक्स कम हुआ है। साथ ही प्रधानमंत्री ने ये भी बताया कि corporate tax के मामले में भी भारत दुनिया का सबसे कम टैक्स लेने वाला देश है।
पीएम ने कहा कि अब दर्जनों टैक्स की जगह केवल एक जएसटी ने हल कर दिया है इस लिए जहां complexity होती है, वहां compliance भी मुश्किल होता है। कानून को स्पष्ट करते हुए कहा कि, कम से कम कानून हो, जो भी कानून हो वह बहुत ही स्पष्ट हो, तो टैक्स पेयर भी खुश रहेगा और देश भी खुश रहेगा।
देश में एक करोड़ से दो करोड़ तक की सीमा तय हो गयी है। कहने का मतलब है कि अब देश में हाईकोर्ट में 1 करोड़ और सुप्रीम कोर्ट में 2 करोड़ रुपये तक की सीमा तय कर दी गयी है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि “विवाद से विश्वास” जैसी योजना से ज्यादातर मामले कोर्ट से बाहर ही सुलझाने की कोशिश की जाएगी।
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