प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी
नयी दिल्लीः मोदी सरकार 3 दिसंबर को किसानों से बात करने को तो राजी हो गयी है लेकिन एमएसपी पर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार का स्टैंड साफ है।पीएमओ के जरिए ट्विवट में रखी गयी बातें, जो एमएसपी को लेकर सरकार के रवैये को स्पष्ट करती हैं इस प्रकार हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा, MSP तो घोषित होता था लेकिन MSP पर खरीद बहुत कम की जाती थी। सालों तक MSP को लेकर छल किया गया। किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्जमाफी के पैकेज घोषित किए जाते थे। लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक ये पहुंचते ही नहीं थे। यानि कर्ज़माफी को लेकर भी छल किया गया।
अपप्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है। जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है। कृषि सुधारों के मामले में भी यही हो रहा है। ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है।
जब इतिहास छल का रहा हो, तब 2 बातें स्वभाविक हैं। पहली ये कि किसान अगर सरकारों की बातों से कई बार आशंकित रहता है तो उसके पीछे दशकों का इतिहास है। दूसरी ये कि जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया, उनके लिए ये झूठ फैलाना मजबूरी बन चुका है कि जो पहले होता था, वही अब भी होने वाला है।
लेकिन पिछले कुछ समय से एक अलग ही ट्रेंड देश में देखने को मिल रहा है। पहले होता ये था कि सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था। लेकिन बीते कुछ समय से हम देख रहे हैं कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है।
सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं। नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है तो कुछ सवाल भी स्वभाविक ही है। ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में ये जीवंत परंपरा रही है।
सरकार के प्रयासों औऱ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से किसानों को कितना लाभ हो रहा है, इसका एक बेहतरीन उदाहरण चंदौली का काला चावल-ब्लैक राइस है।
नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने चंदौली के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए 2 साल पहले काले चावल की एक वैरायटी का प्रयोग यहां किया गया था। पिछले साल खरीफ के सीज़न में करीब 400 किसानों को ये चावल उगाने के लिए दिया गया। इन किसानों की एक समिति बनाई गई, इसके लिए मार्केट तलाश किया गया।
सामान्य चावल जहां 35-40 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है, वहीं ये बेहतरीन चावल 300 रुपए तक बिक रहा है। बड़ी बात ये भी है कि ब्लैक राइस को विदेशी बाज़ार भी मिल गया है। पहली बार ऑस्ट्रेलिया को ये चावल निर्यात हुआ है, वो भी करीब साढ़े 800 रुपए किलो के हिसाब से।
हमने वादा किया था कि स्नामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुकूल लागत का डेढ़ गुणा MSP देंगे। ये वादा सिर्फ कागज़ों पर ही पूरा नहीं किया गया, बल्कि किसानों के बैंक खाते तक पहुंचाया है।
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