The All India Presiding Officers’ Conference में पीएम मोदी बोले हमें आने वाले वर्षों में, देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है।

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ऑल इंडिया प्रेसिडिंग ऑफिसर्स कॉन्फ्रेंस (The All India Presiding Officers’ Conference) में पीएम मोदी बोले हमें आने वाले वर्षों में, देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है, असाधारण लक्ष्य हासिल करने हैं।

नयी दिल्लीः ऑल इंडिया प्रेसिडिंग ऑफिसर्स कॉन्फ्रेंस (The All India Presiding Officers’ Conference) में पीएम मोदी बोले हमें आने वाले वर्षों में, देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है, असाधारण लक्ष्य हासिल करने हैं।

ऑल इंडिया प्रेसिडिंग ऑफिसर्स कॉन्फ्रेंस (The All India Presiding Officers’ Conference) में पीएम मोदी बोले हमें आने वाले वर्षों में, देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है, असाधारण लक्ष्य हासिल करने हैं।

ये संकल्प ‘सबके प्रयास’ से ही पूरे होंगे। और लोकतन्त्र में, भारत की संघीय व्यवस्था में जब हम ‘सबका प्रयास’ की बात करते हैं तो सभी राज्यों की भूमिका उसका बड़ा आधार होती है।

क्या साल में 3-4 दिन सदन में ऐसे रखे जा सकते हैं जिसमें समाज के लिए कुछ विशेष कर रहे जनप्रतिनिधि अपना अनुभव बताएं, अपने समाज जीवन के इस पक्ष के बारे में भी देश को बताएं।

आप देखिएगा, इससे दूसरे जनप्रतिनिधियों के साथ ही समाज के अन्य लोगों को भी कितना कुछ सीखने को मिलेगा।

हमारा देश विविधताओं से भरा है।

अपनी हजारों वर्ष की विकास यात्रा में हम इस बात को अंगीकृत कर चुके हैं कि विविधता के बीच भी, एकता की भव्य और दिव्य अखंड धारा बहती है।

एकता की यही अखंड धारा, हमारी विविधता को संजोती है, उसका संरक्षण करती है।

हमारे सदन की परम्पराएँ और व्यवस्थाएं स्वभाव से भारतीय हों,

इस बात पर जोर दिया

ऑल इंडिया प्रेसिडिंग ऑफिसर्स कॉन्फ्रेंस (The All India Presiding Officers’ Conference) मे मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि हमारी नीतियाँ, हमारे कानून भारतीयता के भाव को, ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को मजबूत करने वाले हों, सबसे महत्वपूर्ण, सदन में हमारा खुद का भी आचार-व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है।

चाहे पूर्वोत्तर की दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान हो।

दशकों से अटकी-लटकी विकास की तमाम बड़ी परियोजनाओं को पूरा करना हो, ऐसे कितने ही काम हैं जो देश ने बीते सालों में किए हैं, सबके प्रयास से किए हैं।
भारत के लिए लोकतन्त्र सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है। लोकतन्त्र तो भारत का स्वभाव है, भारत की सहज प्रकृति है।

हम Quality Debate के लिए भी अलग से समय निर्धारित करने के बारे में सोच सकते हैं क्या?

ऐसी डिबेट जिसमें मर्यादा का, गंभीरता का पूरी तरह से पालन हो, कोई किसी पर राजनीतिक छींटाकशी ना करे।

एक तरह से वो सदन का सबसे Healthy समय हो, Healthy Day हो।

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Author: टीम, भारतीय बुलेटिन

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