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हरियाणा में अनैतिक धर्मांतरण कराने वालों की खैर नहीं, धर्मान्तरण को रोकने के लिए कानून लाई प्नदेश सरकार, देखें वीडियो ।

नयी दिल्लीः मनोहर लाल खट्टर की हरियाणा सरकार जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए ‘हरियाणा विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक-2022’ कानून लेकर आई है। शुक्रवार (4 मार्च 2022) को प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने इस संबंध में विधानसभा में बिल पेश किया। ‘हरियाणा विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक-2022’ में जबरन धर्मांतरण पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।

विश्व हिन्दू परिषद ने की सराहना

विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने राज्य सरकार के इस कदम की सराहना की है। वीएचपी (VHP) के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन (Surender jain) ने कहा है कि इस बिल से राज्य सरकार ने अपने दृढ़ संकल्प को दिखाया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद राज्य में लव जिहाद और धर्मान्तरण के जरिए देश के खिलाफ साजिश करने के मामलों पर रोक लगेगी। उन्होंने कहा, “हरियाणा प्रदेश हमेशा से एक धार्मिक क्षेत्र रहा है। यही वो क्षेत्र है जहाँ मानव सभ्यता फली और फूली। हालाँकि, बीते कुछ समय से राज्य में अवैध धर्मान्तरण की गतिविधियाँ सामने आई हैं। अवैध धर्मांतरण ने मेवात जैसे हिंदुओं के कई कब्रगाह बना दिए थे।”

जैन के अनुसार, “हरियाणा के इन क्षेत्रों से समय-समय पर कई देशविरोधी तत्वों को पकड़ा गया है। इन सभी कृत्यों को मुल्ला और मौलवियों ने न केवल बढ़ावा दिया, बल्कि मुस्लिम समुदाय को भी कट्टरता में धकेलने का षड्यंत्र कर रहे हैं। ईसाई मिशनरी लगातार धोखा या लालच देकर भोले-भोले लोगों का धर्मान्तरण करा रहे हैं।” सुरेंद्र जैन का आगे कहना है कि हरियाणा की कानून-व्यवस्था को कई बार देश विरोधी लोगों ने चुनौती देने का काम किया है। लेकिन अब इस कानून के अस्तित्व में आने के बाद सामाजिक सौहार्द और शाँति का माहौल बन सकेगा।

हरियाणा धर्मान्तरण विधेयक

बता दें कि है कि फरवरी की शुरुआत में मुख्यमंत्री खट्टर ने खुद ट्वीट कर जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए ‘गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध बिल-2022’ को कैबिनेट से मंजूरी मिलने की जानकारी दी थी। गृह मंत्री अनिल विज ने बिल को सदन में पेश करते हुए बताया कि इसमें में सजा का प्रावधान तीन अलग श्रेणियों में किया गया है। नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से जुड़े हुए जबरन धर्मांतरण करने के मामलों में ज्यादा सजा का प्रावधान किया गया है।

धर्म छिपाकर शादी और धर्मांतरण करने पर अधिकतम दस साल की सजा और तीन लाख रुपए जुर्माने का बिल में प्रावधान है। वहीं सामूहिक धर्मांतरण कराने पर 5 साल तक की सजा हो सकती है। इस कानून के तहत धर्मांतरण के पहले डीसी को सूचना देनी होगी।

Author: टीम, भारतीय बुलेटिन

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